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परिश्रम के महत्व को समझें । "understand the importance of hard work"

"understand the importance of hard work"

 ।। परिश्रम के महत्व को समझें ।।

#1. Tips 1:- परिश्रम के महत्व 

आजकल आम तौर पर यह देखा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति 'व्हाइट कॉलर 'जॉब' पसंद करता है। उन्हें ऐसा कार्य पसंद नहीं आता, जिसमें पसीना बहाना पड़ता हो। सभी आसान कार्यों की ओर अग्रसर हो रहे हैं और स्वयं के साथ अन्याय कर रहे हैं। परिश्रम से जी चुराकर व्यक्ति अपनी स्वाभाविक प्रतिभा के साथ भी न्याय नहीं कर सकता है। व्यक्ति को अपने क्षेत्र का परिश्रम अवश्य ही करना चाहिए। यदि किसी सिविल इंजीनियर को धूल एवं पसीने से नफरत हो तो यही माना जाएगा कि उसे अपने कार्यक्षेत्र में आनंद की प्राप्ति नहीं हो रही है और वह अपने कर्तव्य एवं कार्य दोनों से ही जी चुरा रहा है। यदि कोई व्यक्ति अपने कर्म के प्रति समर्पित न होकर परिश्रम से बचने का प्रयत्न करता है तो उसका ह भी उस किसान से जुदा न होगा, जिसने परिश्रम से जी चुराया था।


कंफ्यूशियस के विद्वान शिष्य चांग हो भ्रमण पर थे। जब वे ताईवान पहुंचे तो वहां गांव में उन्होंने एक विशाल हरे-भरे बगीचे में किसान को कुएं से पानी खींचकर पौधों को सींचते देखा। कड़ी मेहनत के कारण उसके माथे से पसीने के रेले बह रहे थे, लेकिन वह प्रसन्नता से अपना कार्य कर रहा था। चांगहो को उस पर दया आई। उन्होंने लकड़ी की घिरी लगाकर कुएं से पानी निकालने का एक सरल यंत्र बना दिया। पानी पेड़ों तक पहुंचाने के लिए मोटे बांसों को काटकर उनकी नालियां बना दीं। अगले दिन चांग-हो ने पानी निकालने के लिए भाप की मशीन बनाई व इससे किसान को बेहतर जीवन जीने का संदेश देकर आगे निकल गए। 

                      कई वर्ष बाद जब वे उस क्षेत्र से गुजरे तो उन्हें उस किसान से भेंट कर उसके हाल-चाल जानने की इच्छा हुई। वहां पहुंचे तो पाया बगीचा सूखा था और किसान कमजोर हालत में एक खटिया पर पड़ा था। चांग-हो ने हंसते हुए किसान से पूछा- भाई, मैंने तो तुम्हारे लिए समय और श्रम की बचत करने वाला बढ़िया यंत्र बनाकर दिया था और तुम्हारी क्या हालत हो गई है? क्या तुम्हें बराबर आराम नहीं मिलता ? किसान की पत्नी आकर खड़ी हो गई और बोली-महाशय, आपने जब से यह यंत्र बनाकर दिया है, तभी से इनकी ऐसी हालत हुई है। यंत्र लग जाने के बाद ये परिश्रम से विमुख हो गए और आलस्य से घिर गए। खाली बैठे-बैठे कई बेकार की चिंताओं में डूबे रहते हैं और बीमार भी रहते हैं। चांगहो को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने किसान दंपती से माफी मांगी और यह बात मानी कि यदि किसान को स्वस्थ और प्रसन्न रहना है तो परिश्रमपूर्वक निकाले जल से बगीचे को सींचना जरूरी है। तंदुरूस्ती और प्रसन्नता के लिए शारीरिक श्रम आवश्यक है। श्रम से मिलने वाले आनंद का विकल्प मनोरंजन का कोई साधन नहीं बन सकता।

अतः आपको इस कथा के माध्यम से स्वयं का आकलन करना चाहिए कि क्या आप भी अपने कार्य के प्रति ईमानदार हैं और आपको परिश्रम में आनंद की प्राप्ति होती है अथवा नहीं। याद रखें कि इंसान अपने कार्यों के कारण ही इस दुनिया में अपनी पहचान बनाता है। अतः कर्म के प्रति उदासीनता का भाव नहीं, बल्कि उत्साह का भाव रखना चाहिए। क्या आप आलसी और कामचोर व्यक्तियों को पसंद करते हैं? क्या आपको नहीं लगता कि प्रत्येक व्यक्ति इस संसार में किसी विशिष्ट कार्य के लिए ही पैदा होता है और उसे उस कार्य को सिद्ध करना ही चाहिए। यदि आपके कार्यक्षेत्र में पसीना बहाना अनिवार्य है तो अपने पसीने की महक को आपको पसंद करना ही चाहिए। यदि आपको अपने पसीने से दुर्गंध आती है तो आपके कार्य की कीर्ति की महक को भी कोई महसूस नहीं करने वाला है और आप उन लोगों की जमात में सम्मिलित हो जाएंगे, जिनका संसार में आना निष्फल ही माना जाता है। सुविधा के साधनों को उस सीमा तक ही अपनाना चाहिए, जिस सीमा तक वह आपकी कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं और आपको भी ऊर्जावान बनाए रखते हैं।

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