Biography of varahamihir |
इस Article में जानेंगे प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ Varahamihir Aacharya ji की जीवनी। तो आइए जानते हैं:-
Quick Facts/Biography
जन्म ई. :- 499
जन्म भूमि :- 'कपिथा गाँव', उज्जैन
मृत्यु ई. :- 587
अभिभावक पिता :- आदित्यदास
हमारे देश में प्रतिमाओं और योग्यताओं की कमी नहीं है।
प्राचीन काल से ही यहां पर अनेक महान विभूतियों ने जन्म लेकर भारत की धरती को पवित्र किया है और अपने अद्भुत कौशल एवं कार्यों से पूरे विश्व को चकित किया है।
Varahmihir भी Bharat के एक ऐसे ही महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे।
इनका जन्म उज्जैन के समीप एक गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
इनके पिता सूर्य के उपासक थे।
Varahmihir की भविष्य
उन्होंने Mihir को भविष्य शास्त्र पढ़ाया था।
उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि राजा विक्रमादित्य के पुत्र की मृत्यु 18 साल में होगी।
हर प्रकार की सावधानी रखने के बाद भी मिहिर द्वारा बताए गए दिन और समय पर ही राजकुमार की मृत्यु हुई।
राजा विक्रमादित्य ने उन्हें बुलाकर कहा, ''आपकी भविष्यवाणी सत्य हो गई।
राजा विक्रमादित्य ने उन्हें बुलाकर कहा, ''आपकी भविष्यवाणी सत्य हो गई।
आप जीत गए और मैं हार गया।
मैंने अपने पुत्र को बचाने की हर संभव कोशिश की, पर मैं कामयाब नही हो पाया।
''तब मिहिर नम्रतापूर्वक बोले,''महाराज, वास्तव में मेरी नहीं,'खगोल शास्त्र ' व' भविष्य शास्त्र ' के विज्ञान की जीत हुई है।
"महाराज ने Mihir को मगध देश का सर्वोच्च सम्मान ' वराह' प्रदान किया और तब से कारण राजा विक्रमादित्य द्वितीय ने इन्हें अपने दरबार के नौ रत्नों में स्थान दिया। इनकी मुलाकात ' आर्यभट्ट ' से हुई।
Varahmihir की खोज
वराहमिहिर ने वर्तमान समय में पास्कल त्रिकोण (Pascal's triangle) के नाम से प्रसिद्ध संख्याओं की खोज की। इनका उपयोग वे द्विपद गुणाकों (binomial coefficients) की गणना के लिये करते थे।आर्यभट्ट की तरह ही Varahmihir का भी कहना था कि पृथ्वी गोल है।
ये भारतीय ज्योतिष साहित्य के निर्माता भी हैं।
Varahmihir की प्रमुख ग्रंथ
इन्होंने अपने ' पंचसिद्धांतिका ' ग्रंथ से पांच सिद्धांतों की जानकारी दी है, जिसमें भारतीय तथा पाश्चात्य ज्योतिष विज्ञान की जानकारी भी शामिल हैं।
इन्होंने अपने ' वृहत्संहिता 'नामक ज्ञानकोष में तत्कालीन समय की संस्कृति तथा भौगोलिक स्थिति की जानकारी दी है।
जन्मकुंडली बनाने की विद्या भी इनके ' बृज्ज्जाहतक ' ग्रंथ पर आधारित है।
550 ई. के लगभग इन्होंने तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें ' बृहज्जातक ',' बृहत्संहिता ' और पंचसिद्धांतिका ' लिखीं।
इन पुस्तकों में त्रिकोणमिति के महत्वपूर्ण सूत्र दिए गए हैं।
इन पुस्तकों में त्रिकोणमिति के महत्वपूर्ण सूत्र दिए गए हैं।
अपनी पुस्तक के बारे में ये कहते हैं कि "ज्योतिष विद्या एक अथाह सागर है और हर कोई इसे आसानी से पार नहीं कर सकता।
मेरी पुस्तक एक सुरक्षित नाव है, जो इसे पढ़ेगा, वह उसे पार ले जाएगी।
"वे वेदों के ज्ञाता थे, मगर आंखें बंद करके किसी बात पर विश्वास नहीं करते थे।
उनकी भावना और मनोवृत्ति एक वैज्ञानिक की थी।
उन्होंने ही अपनी पंचसिद्धांतिका में सबसे पहले यह बताया था कि अयनांश का मान 50.32 सेकंड के बराबर है।
उन्होंने अनेक दुर-दुर के देशों की यात्रा की और भविष्य एवं खगोल के नए-नए बिंदु तलाश किए।
ऐसे महान वैज्ञानिक की मृत्यु सन् 587 ई. में हुई।
इतिहास में Varahamihir अपनी कृतियों, खगोल व ज्योतिष विद्या के कारण अमर हैं।
FAQs Pages (Q & A)
01. वराहमिहिर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
Ans. कायथा, उज्जैन
02. वराहमिहिर के पिता का नाम क्या था?
Ans. आदित्य दास
03. वराहमिहिर ने किसकी खोज की थी?
Ans. वराहमिहिर ने वर्तमान समय में पास्कल त्रिकोण (Pascal's triangle) के नाम से प्रसिद्ध संख्याओं की खोज की। इनका उपयोग वे द्विपद गुणाकों (binomial coefficients) की गणना के लिये करते थे।
04. वराहमिहिर की मृत्यु कब हुई थी?
Ans. 587 ईस्वी
05. वराहमिहिर द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ कौन सा है?
Ans. 550 ई. के लगभग इन्होंने तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें बृहज्जातक, बृहत्संहिता और पंचसिद्धांतिका, लिखीं। इन पुस्तकों में त्रिकोणमिति के महत्वपूर्ण सूत्र दिए हुए हैं, जो वराहमिहिर के त्रिकोणमिति ज्ञान के परिचायक हैं।
06. वराहमिहिर का गणित में क्या योगदान है?
Ans. उन्होंने आर्यभट्ट I की ज्या तालिकाओं की सटीकता में सुधार किया। उन्होंने शून्य के साथ-साथ ऋणात्मक संख्याओं के बीजगणितीय गुणों को परिभाषित किया। इसके अलावा, वह पहले गणितज्ञों में से एक थे जिन्होंने पास्कल के त्रिकोण के रूप में जाने जाने वाले संस्करण की खोज की। उन्होंने द्विपद गुणांकों की गणना के लिए इसका उपयोग किया।
07. वराहमिहिर को किस लिए जाना जाता है?
Ans. वराहमिहिर, जिन्हें वराह या मिहिरा भी कहा जाता है, एक भारतीय दार्शनिक, खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे, और ग्रीक, मिस्र, रोमन और भारतीय खगोल विज्ञान के एक संग्रह, पंच-सिद्धांतिका ("पांच ग्रंथ") को लिखने के लिए जाने जाते हैं।
08. पंच सिद्धान्तिका' की रचना किसने की?
Ans. वाराहमिहिर
Recommended Articles
07. परमवीर चक्र विजेता राम राघोबा राणे की जीवनी हिंदी में जानते हैं।। Biography of Ram Raghoba Rane!!
हमनें इस Post में जाना कि Varahamihir Aacharya की जीवनी हिंदी में अगर आपको मेरे Article पसंद आए है तो में आपको इस तरह के विषय से संबंधित Article Comment कर सकते हैं...!!
धन्यवाद आपने हमारे Post को पढ़ने में समय निकाला...!!
Thank you so much
Thanks for subscribe
thanks for feedback